जानिए खाटू श्याम कौन हैं तथा उनसे जुड़ी 10 बातें । किस कारण से पूजे जाते हैं कलयुग में खाटू श्याम ? | Khatu Shyam Worship

By | May 12, 2024
Khatu Shyam Worship

Khatu Shyam Worship: खाटू श्याम का मंदिर भारत के राजस्थान में सीकर जिले में खाटू नगर है जहां पर  खाटू श्याम का मंदिर स्थित है कुछ मान्यताओं के अनुसार  सभी खाटू श्याम मंदिरों में  से राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर सबसे अधिक प्रसिद्ध है तथा इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में  भक्त खाटू श्याम (Khatu Shyam) के दर्शन करने आते हैं  उनका मानना है कि जो भी मनोकामनाएं खाटूश्यामजी से मांगते हैं  सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है इसके साथ ही हम आपको बता दें यह मंदिर  1000 साल से भी अधिक पुराना है जो कि आज आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है 

कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण

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कौन है खाटू श्याम जी। Who is Khatu Shyam 

Khatu Shyam Name

खाटू श्याम  कोई और नहीं  भगवान श्री कृष्ण के ही कलयुगी अवतार हैं जो कि मां शक्तिशाली भीम के पुत्र घटोत्कच  के पुत्र हैं  इनकी माता का नाम मोरवी  है खाटू श्याम का पहले नाम  बर्बरीक था  उन्हें यह नाम  भगवान श्री कृष्ण ने  दिया था क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने  बर्बरीक से प्रसन्न हुए थे  तो उन्होंने  बर्बरीक को श्याम नाम दिया और खाटू में स्थित होने के कारण उनका नाम खाटू श्याम (Khatu Shyam) पड़ गया  वैसे  खाटू श्याम के अनेकों नाम है  जिनमें से उनके भक्त उन्हें भक्त खाटू श्याम जी, नीले घोड़े का सवार,  तीन बाण धारी,  लखदातार, हारे का सहारा, शीश का दानी, मोर्वीनंदन, खाटू वाला श्याम, खाटू नरेश, श्याम धनी, आदि नामों से पुकारते हैं

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खाटू श्याम की कहानी । Story and History of Khatu Shyam

जैसे कि हमने  अभी  ऊपर दी हुई पंक्तियों में  पढ़ा कि  खाटू श्याम का पहले नाम बर्बरीक था  जो कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे उन्होंने अपनी शिक्षा भगवान श्रीकृष्ण से ली थी और भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही उन्होंने दुर्गा मां की कठोर तपस्या कर उनसे तीन अमोघ बाण प्राप्त किए थे और वह तीन बार इतने शक्तिशाली थे कि   वह उन तीनों बाण से पूरी दुनिया को जीत सकते थे और जब बर्बरीक को पता चला की महाभारत युद्ध होने वाला है तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लेने के लिए फैसला किया और सीधा अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे  लेकिन  उनकी माता ने उनसे बदले में एक वचन मांगा कि वह हारे में पक्ष का साथ देंगे  लेकिन भगवान श्री कृष्ण को यह मंजूर नहीं था क्योंकि वह पहले से ही जानते थे कि इस युद्ध में कौरवों की हार निश्चित है और यदि बर्बरीक  इनकी तरफ से लड़ेंगे तो शायद इस युद्ध का अंजाम कुछ और ही होगा इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक से महाभारत युद्ध भूमि पूजन के लिए उनसे उनका शीश मांगा

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कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण ।  Khatu Shyam Worship 

  • खाटू श्याम का  अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित:’ इसका मतलब  जो हारे और निराश लोगों को  शक्ति और बल  प्रदान करता हो 
  • खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण का  कलयुग के अवतार माना जाता है  और इनका जन्म उत्सव कार्तिक शुक्ल में  देवउठनी एकादशी के दिन मनाया  जाता है 
  •  हिंदू पंचांग के अनुसार  फाल्गुन माह के शुक्ल  षष्टि से लेकर बारस  तक  खाटू श्याम मंदिर  परिसर में  भव्य मेला का  आयोजन होता है  जिसे ग्यारस मेले के नाम से भी जाना जाता है 
  •  पुरानी  मान्यताओं के अनुसार खाटू श्याम महाशक्तिशाली भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र हैं  जिनका पहले नाम  बर्बरीक था  उन्हें श्याम की उपाधि भगवान श्री कृष्ण से मिली थी 
  •  अभी  कल युग चल रहा है  और  भगवान श्रीकृष्ण से  बर्बरीक को यह वरदान प्राप्त था कि वह कलयुग में  उनकी पूजा होगी 
  • महाभारत के युद्ध  शुरुआत होने से पहले ही  बर्बरीक ने अपना  सिर भगवान श्री कृष्ण को  महाभारत भूमि पूजन के लिए दे दिया  जिससे वह प्रसन्न हुए  और उन्हें  कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया 
  •  बाबा श्याम  खाटू धाम में स्थित कुंड में प्रकट हुए थे और श्रीकृष्ण शालिग्राम के रूप में  मंदिर में दर्शन देते हैं 
  • भगवान खाटू श्याम को  उनके भक्त  उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं  पर इन सभी नामों के पीछे  कोई ना कोई वजह है  उन्हें  शीश का दानी  उन्हें इसलिए कहा जाता है  क्योंकि उन्होंने अपना शीश भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था
  • भगवान खाटू श्याम को  संसार का  सबसे बड़ा धनुर्धर  माना जाता है 
  • भगवान शाम को  हारे का सहारा इसलिए बोला जाता है  क्योंकि वह हारे हुए पक्ष का साथ देने के लिए  तैयार थे

कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण

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